Wednesday, November 25, 2009

26/11... kayarta ka hamla....


365 दिन पहले की वो रात कोई भी भारतीय  नहीं भूल सकता. इस दिन ने हमारे मस्तिस्क पटल पर न केवल एक गुमनाम दहशत का बीज बो दिया, बल्कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया. 26 नवम्बर 2008 याने 26/11 को आज एक साल पूरा हो जायेगा, लेकिन इस एक साल मैं ham कितने मरबूत हुए हैं ये जानने  के लिए हमें अभी और कितने साल लग जायेंगे.. 26/11 के इस आतंकी हमले मैं  कितने ही परिवार उजाड़ गए जिनकी अभी तक कोई सुध नहीं ली गई और नही उन्हें जो सहायता राशी देना थी वो दी गई.  पीड़ित लोग अपने घावों मैं आज तक इस हमले का दर्द महसूस कर रहे हैं. भारत पर सबसे बड़े आतंकी हमले से पहले भी कितने हमले हुए लेकिन जितनी भी सरकारे रही उन्होंने इन हमलो से कोई सबक नहीं लिया. सभी अपनी राजनीती रोटिया देश को जलाकर सेंकने मैं लगे रहे. आतंकी सीरियल ब्लास्ट करते रहे और हमारा तंत्र उनकी गिनती करता रहा... अभी तक ये नहीं खोजा गया की खामिया हमारे तंत्र मैं कहा हैं. उसे कैसे ठीक किया जाये... सिर्फ मंच और टीवी के सामने खुदको एक्सपोज कर ये सफेद्फोश तथाकथिक लोग अपने मूल काम की इतिश्री करते रहे, भले ही लोगो का हित जाये भाड मैं. 26/11 को फिर ये किसी मंच पर खड़े होकर पांच मिनिट को मौन रख आने वाले साल इन्तजार करने लगेंगे..और नई कोई ऐसी तारीख का इन्जार करेंगे, जिसमे उन्हें कोई एसा मौका मिले..आतंकवाद पर राजनीती करने वाले भी लगता हैं आतंक को शह दे रहे हैं. इन्हें उन  मासूमों की चीख नहीं सुनाई देती जो कभी मुस्कुराते थे....आज जरूरत हैं इन लोगो को अपना स्वार्थ छोड़ देश हीत  मैं काम करने की. तभी 26/11 जैसी अमानविक घटनाएं नहीं हो पाएंगी... और उन शहीदों को सच्ची श्रधान्जली मिलेगी जिन्होंने देश के लिए वरन अपने भाइयो को बचने  के लिए अपनी जान दे दी. कुछ पैसो के लिए जो अपना इमान बेच देंते हैं वे भी उन ब्लास्ट पीडितो का चेहरा देखें  और अपने परिवार के किसी सदस्य के होने का एहसास करे, फिर वो भी इस कायरता से दूर हो जायेंगे.. और किसी की जान व् घर उजड़ने की जुर्रत नहीं करेंगे...आज अमेरिका ने भी आतंवाद के भयावह चेहरे को देख लिया हैं, वो इस चेहरे को अपने पर हावी नहीं होने देने के लिए नित नए प्रयोग कर रहा हैं और उसमे सफलता भी हासिल कर रहा हैं. फिर हम क्यों इतना पीछे हैं. हमारे यहाँ ही क्यों सीरियल ब्लास्ट होते हैं, हम क्यों नहीं इनसे सबक लेते हैं, हममे  कहा खामिया हैं. इसे हमें ही खोजकर  ख़त्म करना होगा. नहीं तो हम हमेशा डरे, सहमे रहेंगे or आतंकवाद हम पर तांडव करता रहेगा.....

1 comment:

www.जीवन के अनुभव said...

kya khub likha......... harare desh ki rajniti hi kuchh aisi hai ki in muddon ko hamare desh k neta apane paith banane k liye kaam me lete hai.