Monday, January 25, 2010
हमारा गणतन्त्र...
आज हमारा गणतन्त्र ६१ साल का हो जाएगा. इस ६१ साल को जगह-जगह याने पुरे देश मैं बच्चे से लेकर उम्र दराज तक इसे जश्न के रूप मैं मनायेंगे, यह गणतन्त्र जैसे-जैसे आगे बढता जा रहा हैं वैसे- वैसे ये भी उम्र दराज होते जा रहा हैं. अब ये पहले जैसा नहीं रहा. जिसकी तैयारियां १ या दो महीने पहले से शुरू हो जाती थी. अब ये सिर्फ एक दिन का राष्ट्रीय पर्व बनकर रह गया. हमारी युवा पीढ़ी को इसके मायने तक नहीं मालूम. क्यों मनाया जाता हैं गणतन्त्र इस बात से आज भी वे अनभिज्ञ हैं. बदलते दोर ने जहाँ गणतन्त्र को हमारे तन्त्र से लगभग छीन लिया, वही नीत नए दिवसों ने अपनी जगह बना ली. इसका मुख्य कारण सरकारी उदासीनता भी हैं और हम देशवासियों का इसके प्रति बेजान रुख. क्यों हम हमारे संविधान को भूल जाते हैं.. क्यों हम पर पच्शिमी सभ्यता हावी हो जाती हैं, क्यों की यहाँ हमें किसी बात का कोई डर नहीं हैं और जिसे डर नहीं होता वो कुछ भी कर व भुला सकता हैं. सविधान के ६० साल गुजर जाने के बाद ऐसा लगता मानो ये भी बुढा होने लगा हो, क्यूकि हर बुजुर्ग आदमी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती हैं, जो आजका फैशन बन गया हैं और नहीं उनके अनुभवों का स्मरण किया जाता हैं. २६ जनवरी १९५० को जो संकल्प लिए थे, वो संकल्प ही हमारे देश के गण तोड़ने पर आमदा हैं और इन तथाकथित गणों के कारण ही हमारा संविधान शर्मसार हुआ हैं और हो रहा हैं. आज जरूरत हैं इस ६० साल पुराने संविधान को जानने की और इसकी उन विषमताओं को दूर करने की जिसके कारण आज का भारतीय संविधान से पूरी तरह परिचित नहीं हैं..... जय हिंद.....
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