Thursday, May 6, 2010

आज मेरी आँखे रोंती हैं...


आज मेरी आँखे रोंती हैं
उन कोमल हाथों के लिए
जिसने बचपन मैं इन
आख्नों को पुचकारा था
आज मेरा मन शांत हैं
उन बाँतो के लिए
जिसने मेरे जीवन को
इन उंचाइयो तक पहुंचाया हैं
आज मैं उदास हूँ इसलिए
माँ तेरा हाथ सिर पर नहीं हैं
अब ऐसा लगता हैं
के ये आसमा गुम सा गया हैं
आज मैं अकेला हूँ इसलिए
के जीवन के कठिन डगर मैं
तू साथ नहीं हैं
फिर भी तेरा साया साथ चलता हैं
आज मैं चुप हुईं इसलिए
के तू मुझसे बोलती नहीं
लेकिन मेरा मन हमेशा
तुझसे बात करता हैं
आज तेरा
भोलापन याद आता हैं
जब मुझे डांटकर सुला देती थी
लेकिन अब दिन और रात
एक जैसे हो गए हैं
माँ तुने कितनी तकलीफों मैं
मेरा कद बढाया
लेकिन आज भी मैं
छोटा रह गया...
माँ तू कितनी कोमल हैं
तू कितनी शांत हैं
तेरी करुणा के आगे
सब बइमान हैं.....................