Thursday, December 31, 2009


स्वागत 2010


नई उम्मीद
नई किरण
नई आशा
का होगा
नया साल
नया जोश
नया होश
नया बोध
देगा नया साल
कुछ उम्मीद
कुछ तकलीफ
कुछ ख़ास सा 
होगा  नया साल
कुछ बनेंगे अपने
कुछ होंगे पराये
कुछ के "साथ"
गुजरेगा नया साल
किसी का संकल्प
किसके नेक इरादों का
होगा नया साल
आओ नए साल का
स्वागत करते हैं
उन स्नेहभरी निगाहों
से जो हमेशा
"अपनों" और " गैरों" के लिए झूकी रहे ..
आओ हम मिलकर करे नए
साल का वंदन अभिनंदन...

Saturday, December 19, 2009

मुझे रोना नहीं आता...


मुझे रोना नहीं आता
मेरी आखों के आँसूं
सूख चुके हैं,
क्यों मेरे चेहरे पर
ये कालिख हैं,
क्यों मेरा बचपन
अंधेरो से गुजर रहा हैं,
मुझे घर बनाने दो
मुझे उसके साथ
मस्ती करना हैं,
किसने मेरा बचपन
छीन लिया
दूसरों को देखती हू
तो आँखे घबरा जाती हैं,
फिर नई कहानी की
आस बंध जाती हैं,
कौन इस कहानी को
पूरा करेगा
कौन मेरे चेहरे
को सुंदर करेगा
मैं अभी एक फूल हूँ,
जो अनदेखी से मुरझा रही हूँ,
उसे अपनत्व के
पानी से सींचो
जिससे मैं भी एक फूल की तरह
खिल संकू और 
इस संसार को महका संकू...

Wednesday, December 16, 2009

जेब मैं कुछ नही...


जेब मैं कुछ नही
फिर भी चेहरे पर रौनक हैं
हैं दिल मैं प्यार सबके लिए
फिर भी कुछ करने की हसरत हैं
ये सोचता हूँ की कोन देगा मेरा साथ,
आइना देखता हूँ
तो खुदकी तस्वीर नज़र आती हैं
खुद को विश्वास मैं लेता हूँ
और निकल पड़ता हूँ
उन रास्तो पर
जिनका कोई अंत नहीं हैं
अंत की तलाश
रास्तो के साथ बढ़ती जाती हैं
बस मैं अकेला ही
उन रास्तो से दोस्ती कर लेता हूँ
और इस नए हमसफर ke साथ
हम कदम हो लेता हूँ
रास्तो के अनुभव
मेरे चेहरे पर रौनक ला देते हैं
उन सड़क किनारे खड़े लोगो की बाते
मुझमे नया उत्साह पैदा करती हैं
क्यूकी  मैं भी उनके जैसा हूँ...
उनकी तरह हूँ...
जिसे खुद पर
और भगवान् पर विस्वास हैं...

कर दो टूकड़े-टूकड़े...




अरे हमें तेलंगाना दे दो, हमें हरित प्रदेश दे दो, हमें तो बुंदेलखंड चाहिए... ये किसी दुकान मैं  कोई सामान खरीदने की आवाज नहीं हैं ये तो हमारे देश को तोड़ने की बोली हैं... केंद्र सरकार के शगुफे ने उन लालची लोगो के मुह मैं वापस पानी ला दिया जो अपने मनमर्जी नहीं कर पा रहे थे. तेलंगाना को नया राज्य बनाने की अफवाह ने नेताओं की उम्मीदों को फिर से जगा दिया. उत्तर परदेश की मुख्यमंत्री ने तो दो राज्य बनाने का प्रस्ताव दे दिया. यदि मुख्यमंत्री महोदया से नहीं उत्तर पदेश संभल रहा हैं, अपने पद से हटकर किसी समझदार का सहयोग करना चाहिए, न की अपने मतलब के लिए उसे तोडना चाहिए..अब अलग- अलग राज्यों से भी बंटवारों की आवाजे उठने लगी हैं. विकास के नाम पर ये नेता भारतीय संकृति का पतन करने पर आमदा हैं. ये राज्यों का बंटवारा नहीं ये देश के बटवारे के संकेत हैं.. यदि छोटे छोटे राज्य और बांटे गए तो ये देश एक दी फिर बिखर जाएगा. अभी तो महाराष्ट्र मैं ही मराठी वाद पंप रहा हैं अब पुरे देश मैं जातिवाद पनप जाएगा. फिर लगता हैं अपने देश के ही राज्यों मैं ही वीसा लेकर दाखिल होना पड़ेगा.. ये नेता क्यों नहीं आम आदमी को खुश देखना चाहते हैं. अपने चेहरे पर रौनक लाकर दुसरो चेहरों पर उदासी दे जाते हैं. गरीबी हटाने के बजाये गरीबी को बढावा देना इनकी फितरत बन गया हैं. देश विकास मुद्दों को छोड़ देश को तोड़ने के मुद्दों को अपनी समझदारी समझने लगे हैं. आज जिस  मंसूबो को  लेकर चीन व पाकिस्तान भारत को तिरछी निगाहों से देख रहे हैं, वो काम हमारे देश के नेता करने की कोशिश मैं लगे हैं.