Tuesday, April 26, 2011

एक तालाश जो...


एक तालाश जो 
कभी ख़त्म नहीं होती 
उन आँखों के लिए जो
मुझे अक्सर देखा करती थीं 
एक आवाज जो 
अभी तक मेरे कानो 
मैं गूंजती है 
एक सांस जो 
हवा के साथ आज 
भी मुझ से होकर गुजरती हैं 
एक बात 
जिसे कहने का साहस 
आज भी कर रहा हूँ
एक रात 
जिसके गुजरने का 
आज भी इन्तजार कर रहा हूँ 
एक वहम 
जिसे सुलझाने कि 
कोशिसो मैं उलझते जा रहा हूँ 
एक रास्ता 
जिस पर तलाश रहा हूँ 
नई जिन्दगी कि डगर 
एक होसला 
जिसे पाने के लिए 
नए दोस्त बनाये जा रहा हूँ 
एक उम्मीद 
जिसके सहारे 
उन तमाम गलतियों को भुला रहा हूँ 
एक पच्श्याताप 
जिसके आगे 
झुकाते जा रहा हूँ 
एक कारण 
जिससे ढूंढने कि 
कोशिश आज तक कर रहा हूँ....