Tuesday, March 30, 2010

रास्ते पर निकलता हूँ


रास्ते पर निकलता हूँ 
हर कदम गिनता हूँ 
कही ठोकर न लग जाये फिर से 
इसलिए निगाहें झुका कर चलता हूँ.... 
कभी कांटो से डर लगता था 
अब कांटो पर चलता हूँ 
जिन्दगी के हर मोड़ पर 
इस चुभन को मासूस करता हूँ .... 
चला था किसीका साथ ढूंढने 
अब साथ मैं चलने वालो से डरता हूँ 
कभी सभी पर था विश्वास मुझको 
अब खुद पर विश्वास करने से डरता हूँ ..... 
भीड़ मैं चहरे पहचानने की आदत थी 
अब चेहरों की हंसी से डरता हूँ... 
न जाने क्यू एक वहम सताता हैं मुझकों 
के मैं गलत था.. मैं गलत था... मैं गलत था...

Sunday, March 7, 2010

हे नारी


हे नारी 
तुझमें पीढियां समाई हैं
तेरे आँचल ने 
इस संसार को छाँव दी हैं
तेरे प्यार ने 
लोगों की घर्णा मिटाई हैं
तेरे विचारों से 
हमनें नई दिशा पाई हैं
तेरे बलिदान से 
हमें नया जीवन मिला हैं
तेरी करुना से 
इस संसार ने हमें अपनाया हैं
तेरे कोमल हाथों ने 
हमारा व्यक्तित्व को संवारा हैं 
तेरे मजबूत इरादों ने 
हमें जीने का लक्ष्य बताया हैं
तेरे आंसुओं ने
हमें प्यार करना सिखाया हैं
तेरे सम्मान ने 
हमें समाज का आइना दिखाया हैं
तू महान, तू भगवान् हैं
तुझमे ही ये स्रष्टि विराजमान हैं
तेरे चरणों के आगे 
ये जीवन बलिदान हैं 
तुझे नमन,,, तुझे नमन......