जेब मैं कुछ नही
फिर भी चेहरे पर रौनक हैं
हैं दिल मैं प्यार सबके लिए
फिर भी कुछ करने की हसरत हैं
ये सोचता हूँ की कोन देगा मेरा साथ,
आइना देखता हूँ
तो खुदकी तस्वीर नज़र आती हैं
खुद को विश्वास मैं लेता हूँ
और निकल पड़ता हूँ
उन रास्तो पर
जिनका कोई अंत नहीं हैं
अंत की तलाश
रास्तो के साथ बढ़ती जाती हैं
बस मैं अकेला ही
उन रास्तो से दोस्ती कर लेता हूँ
और इस नए हमसफर ke साथ
हम कदम हो लेता हूँ
रास्तो के अनुभव
मेरे चेहरे पर रौनक ला देते हैं
उन सड़क किनारे खड़े लोगो की बाते
मुझमे नया उत्साह पैदा करती हैं
क्यूकी मैं भी उनके जैसा हूँ...
उनकी तरह हूँ...
जिसे खुद पर
और भगवान् पर विस्वास हैं...
Wednesday, December 16, 2009
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1 comment:
kya khub kahi........wah
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