माँ का साथ नसीब वालों को मिलता हैं
जो जितना रोता हैं उसे माँ का प्यार मिलता हैं,
जिद के आगे हमेशा झुकती हैं
मेरी हर मुराद को पूरा वो करती हैं,
चोट खाई मैंने दर्द वो सहती हैं
गोद मैं उठाकर मलहम पट्टी करती हैं,
प्यार से पुचकारती हैं डांटती हैं
पास बैठाकर निवाला खिलाती हैं,
हर निवाले कि अलग सी 'सुगंध' होती हैं
कही मुंह न जल जाए इसलिए फूंक फूंक कर देती हैं,
मेरी शैतानियों मैं वो भी शामिल हो जाती हैं
कही रूठ न जाऊ इसलिए झुलाती है,
पापा कि फटकार से आकर बचाती है
आगे आकर उठा ले जाती हैं,
डरता हूँ तो पास सुलाती हैं
किसीकि नजर न लग जाए इसलिए काजल लगाती हैं ,
हर सुख-दुःख मैं साथ रहती हैं
इसलिए वो माँ कहलाती हैं....
2 comments:
very touchey poem... keep it up Sunil..
really touchy...miss my mumma....
Post a Comment